होम्योपैथी में कान का इलाज



होम्योपैथी में कान का इलाज 


परिचय-
          होम्योपैथी में कान का इलाज   कान का दर्द कुछ मनुष्यों में कान के लट के निचले भाग में तथा कुछ के कर्ण गुहिका, कर्णपटल के पीछे परदे में या अन्य किसी रोग के कारण कई लक्षणों के रूप में कान पर होता है। यह रोग छोटे बच्चों में अधिक होता है। इस रोग में बच्चों को सबसे ज्यादा असहनीय दर्द होता है।

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होम्योपैथी में कान का इलाज


कारण :-
कान में दर्द कई कारणों से हो सकता हैं जैसे-

1. कान पर किसी प्रकार से चोट लगना।
2. कर्णगुहिका या कर्णपटल पर सीधे चोट लगना।
3. पिन या माचिस की तीली के द्वारा कान का साफ करते समय कान के परदे पर चोट आना।
4. कान के अन्दर फंगस, बैक्टीरिया या वायरस का संक्रमण होना।
5. कान के अन्दर या बाहर फुंसी होना।
6. कान में अधिक मैल होना।
7. किसी विजातीय तत्व का कान के अन्दर घुस जाना जैसे- दाना, कीड़ा या बीज आदि।
8. कनफेड होना, दान्त में क्षय होना, दान्त खोखला होना, मसूढ़ों में फोड़ा होना, सर्दी लगना, खांसी होना, बुखार होना या खसरा आदि रोग होना।
9. कान को बार-बार खोदते रहने पर कान का कोई रोग हो सकता है जिसके कारण से कान में दर्द होता है।
10. कान के मैल और कान की भूंसी को इधर-उधर हिलाने पर कान में दर्द हो सकता है।
11. चेचक रोग के होने के कारण भी कान में दर्द हो सकता है।



लक्षण :-
          कान में दर्द होने के कारण कई बार तो कान से पीब भी बहने लगता है, कान पर सूजन आ जाती है, कान लाल हो जाता है। कान में दर्द होने के कारण तो सुनने में भी परेशानी होती है। कभी-कभी कान में दर्द होने पर कान में जलन भी होती है। दर्द का असर कभी-कभी दांत की जड़ तक फैल जाता है। 



अन्य उपचार :-
1. यदि कान में मैल होने के कारण कान में दर्द हो तो कान के मैल को सावधानी से निकालना चाहिए।
2. कान के मैल को निकालने या बाहरी तत्व फंस जाने पर उसे निकालने के लिए माचिस की तीली या पिन का उपयोग न करे इससे समस्या हो सकती है।
3. स्नान करने के बाद कान को अच्छी तरह से पोछना चाहिए क्योंकि कान के अन्दर पानी रहने पर वहां संक्रमण हो सकता है।
4. गला खराब होने पर हल्का गर्म पानी से गरारा करें क्योंकि गला खराब होने के कारण भी कान में दर्द हो सकता है।
5. यदि कान में तेज दर्द हो और दर्द होने के कारण का पता नहीं चल रहा हो तो तुरन्त ही चिकित्सक की सलाह लेनी चाहिए और उपचार करवाना चाहिए।


होम्योपैथी में कान का इलाज 




विभिन्न औषधियों होमियोपैथी में विभिन्न  लक्षण के आधार पर दी जाती है जो इस प्रकार है 

1. कैलि म्यूर :-  कान के मध्य भाग से स्राव हो रहा हो तो इस औषधि की 3X या  12X तथा 3 शक्ति का उपयोग प्रति घंटे पर कर सकते हैं।

2. कैप्सिकम :-  कान से पीब बह रहा हो और कभी-कभी खून भी आ रहा हो तो इसका उपचार करने के लिए कैप्सिकम औषधि की 6 शक्ति का उपयोग कर सकते हैं।

3. मर्क वा :-  यदि कान से बदबूदार पीब बह रहा हो और खून भी बह रहा हो तथा इस प्रकार के लक्षण विशेष करके चेचक रोग के बाद हो और इसके साथ ही कान के चारों ओर की गांठें सूज गई हो, दर्द हो रहा हो और रोग ग्रस्त भाग में नोचने की तरह दर्द हो तो उसे ठीक करने के लिए मर्क वा औषधि की 6X विचूर्ण की मात्रा का प्रयोग करना अधिक लाभकारी है।

4. पल्स :- कान से पतले पानी की तरह का पदार्थ बह रहा हो लेकिन इसमें बदबू न हो या इस प्रकार के लक्षण खसरा या कर्ण-मूल में जलन होने के बाद हो तो रोग को ठीक करने के लिए पल्स औषधि की 3 या 6 शक्ति का उपयोग करने से फायदा मिलता है। कान से पीब बहना नया रोग है तो उपचार करने के लिए इसकी 3 या 30 शक्ति उपयोगी है।

5. हाइड्रैस्टिस :-  कान के मध्य भाग से स्राव होने पर इस औषधि की 1 शक्ति का प्रयोग प्रति आठ घंटे पर करना चाहिए। इसके साथ ही हर रात इसके मूलार्क के आठ बूंद आधे औंस (14 मिलीलीटर) ग्लिसरीन में घोलकर उसकी कुछ बूंदें कान में डालें।

6. कैलि-बाई :- यदि पल्स औषधि के द्वारा कान बहने का उपचार करने पर लाभ न हो तो कैलि-बाई औषधि का उपयोग करना चाहिए।

7. ऑरम-मेट :- यदि अधिक मात्रा में कान से पीब बह रहा हो और उससे बहुत अधिक बदबू आ रही हो तो उपचार करने के लिए आरम-मेट औषधि की 6 शक्ति का सेवन करने से अधिक फायदा होता है। यदि कर्ण-पटल नष्ट हो गया हो और कान की हडि्डयां नष्ट हो रही हो तथा कान का छेद पीब से भरा हो तो इस औषधि की 30 शक्ति की मात्रा का सेवन करना चाहिए।

8. आर्निका :- कान से पीब बहने के साथ ही कान में दर्द हो तो इसे ठीक करने के लिए आर्निका औषधि की 3X मात्रा का प्रयोग करना लाभदायक होता है। इस औषधि का उपयोग करने के साथ ही आर्निका का तेल दो-एक बूंद कान में डालना चाहिए।

9. सल्फर :- यदि पारे या मर्करी का उपयोग करने के कारण कान से अधिक मात्रा में पीब जैसा पदार्थ निकल रहा हो तो इसकी चिकित्सा करने के लिए हिपर सल्फर औषधि की 6 शक्ति की मात्रा का उपयोग लाभकारी होगा। कान से पीब बहना नया रोग है और उसका उपचार पल्स औषधि से करने पर कुछ लाभ न हो तो इस औषधि से उपचार करना चाहिए। यदि कान बहने की बीमारी बहुत पुरानी हो चुकी हो तथा जिसका बहुत अधिक उपचार करने पर भी रोग ठीक न हो रहा हो तो सल्फर औषधि की 30 शक्ति का सेवन करना लाभदायक होता है। यदि कान में पीब सूखने के कारण कुछ भी सुनाई नहीं दे रहा हो तो सल्फर औषधि की 30 शक्ति से उपचार करना चाहिए। ऐसे ही लक्षण होने पर फास्फोरस औषधि की 3 शक्ति का भी उपयोग कर सकते हैं। यदि कान से पीब बहना पुरानी बीमारी हो तो उसे ठीक करने के लिए भी इस औषधि की 30 शक्ति उपयोगी है।

10. कैल्केरिया-कार्ब :-  कान से पीब बहने का रोग यदि पुराना हो तो उसे ठीक करने के लिए कैल्केरिया-कार्ब औषधि की 3 या 30 शक्ति का प्रयोग किया जा सकता है।
जिन लोगों को हल्की ठण्ड लगने से ही सर्दी हो जाती हो तो उनके रोग को ठीक करने के लिए इस औषधि की 30 या 200 शक्ति उपयोगी है।

11. नाइट्रिक-एसिड :- कान के पीछे वाले भाग में और नीचे की ओर दर्द तथा सूजन होने के साथ ही अधिक बदबूदार पीब का स्राव हो रहा हो तो नाइट्रिक-एसिड औषधि की 6 शक्ति का सेवन करने से अधिक लाभ मिलता है।

12. सिलिका :-  कान से पतला पीब का स्राव हो रहा हो तथा कान के बाहर की ओर सूजन आ गई हो तो चिकित्सा करने के लिए सिलिका औषधि की 30 शक्ति का उपयोग कर सकते हैं। यदि कान हमेशा बंद रहता हो तो भी इस औषधि का उपयोग लाभदायक होता है।  पपड़ी बनने के साथ ही कान से पतला पानी जैसा पीब निकलने पर इस औषधि का उपयोग करना चाहिए।

13. सोरिनम :-  कान से बदबूदार पीब बहने पर सोरिनम औषधि की 30 शक्ति से उपचार किया जा सकता है।
14. टेल्यूरियम :-  कान में पीब बहने का कष्ट यदि बहुत अधिक पुराना हो तो उसे ठीक करने के लिए टेल्यूरियम औषधि की 6 शक्ति का प्रयोग लाभदायक है।

15. ग्रैफाइटिस :- कान से खूनयुक्त चिपकने वाला बदबूदार पीब का स्राव हो रहा हो तो ग्रैफाइटिस औषधि की 6 शक्ति की मात्रा का उपयोग लाभकारी होगा।



16. ऐकोनाइट :-  सर्दी लगने के कारण कान से पीब बहना नया रोग हो तो उपचार करने के लिए ऐकोनाइट औषधि की 30 शक्ति का सेवन करने से अधिक लाभ मिल सकता है।

17. बेलाडोना :-   कान से पीब बहने के साथ ही सिर में दर्द हो रहा हो तो उपचार करने के लिए इसकी 30 शक्ति का सेवन करने से अधिक लाभ मिलता है।

18. कैलकेरिया :-   कान बहने का रोग बहुत अधिक पुरानी हो तो चिकित्सा करने के लिए इस औषधि की 30 शक्ति का उपयोग करने से फायदा होता है।

19. लाइकोपोडियम :-  इस औषधि की 30 शक्ति के द्वारा कान बहने के पुराने रोग को ठीक कर सकते हैं।

20. हिपर सल्फ :-  कान से पीब बह रहा हो और उससे खट्टी बदबू आ रही हो तो उपचार करने के लिए इस औषधि की 30 शक्ति की मात्रा का उपयोग लाभकारी होता है। इसके उपयोग से कान का जख्म ठीक होने लगता है तथा कान के पर्दे (ड्रम) में छेद होने पर वह भी इसके उपयोग से ठीक होने लगता है।



21. साइलीशिया :-  कान बहने का रोग पुराना हो तथा अन्य औषधि के उपयोग से लाभ न मिल रहा हो तो उसे ठीक करने के लिए साइलीशिया औषधि की 30 शक्ति का उपयोग करना चाहिए। यदि कान की हड्डी नष्ट होने के कारण कान से पीब का स्राव हो रहा हो तो इस स्थिति में भी इसका उपयोग लाभदायक होता है।

22. कैलि बाईक्रोम :-  कान बहने के साथ ही पीब सूतदार, गाढ़ा, चिपचिपा तथा पीला हो और उससे बदबू आ रही हो तथा बायें कान में तेज चुभनयुक्त दर्द हो तो इस स्थिति में चिकित्सा करने के लिए कैलि बाईक्रोम औषधि की 3X या 30 शक्ति का उपयोग करना चाहिए।

23. टेल्यूरियम :-  कान बहने के बहुत पुराना रोग को ठीक करने के लिए टेल्यूरियम औषधि की 6 शक्ति का उपयोग करने से लाभ मिलता है, इसकी दूसरी शक्ति ठीक प्रकार से काम नहीं करती है। यदि मध्य-कर्ण से स्राव हो रहा हो और कान में जलन हो, स्राव बदबूदार पतला हो तो इस औषधि से रोग को ठीक कर सकते हैं।

24. मर्क सौल :-  कान के अन्दर से पीब का स्राव हो रहा हो तो रोग को ठीक करने के लिए मर्क सौल की 6 शक्ति का सेवन प्रति आठ घंटे पर करने से अधिक लाभ मिलता है।

25. बोरैक्स :- कान से पीब का स्राव हो रहा हो तो इस औषधि की 3 शक्ति का सेवन करना चाहिए तथा सोते समय 6 ग्रेन बोरिक एसिड को बारीक करके कान में रखकर फूंक से फुंकार मारें या बोरिक एसिड, प्लान्टेगो तथा शुगर ऑफ मिल्क को सम-भाग लेकर खूब पीसकर फिर सूखाकर कान में डालकर फूंके, इससे लाभ होगा।

होम्योपैथी में कान का इलाज 


कुछ अन्य उपचार :- कान से पीब बहने का उपचार कभी-भी किसी तेज दवा से नहीं करना चाहिए क्योंकि इससे नुकसान हो सकता है। साफ पानी में दोगुना दूध मिलाकर रोगी के कान को उस पानी से धोकर ब्लाटिंग कागज से कान को सूखा देना चाहिए, इसके बाद रूई के द्वारा दो-एक बून्द कार्बोलिक एसिड का प्रयोग करना चाहिए। पांच ग्रेन बोरासिक एसिड अच्छी तरह पीसकर, रात में सोने के पहले कान में डाल देना चाहिए और रात में पीब गिरना बंद न किया जाए, बराबर पीब गिरता रहे, कोई हानि नहीं होगी और सुबह के समय में हल्का गर्म पानी से कान को धो डालना चाहिए।


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