सांस की नली में सूजन आने का होम्योपैथिक इलाज


सांस की नली में सूजन आने का होम्योपैथिक इलाज 

परिचय- सर्दी के मौसम में ठंडी हवाओं के कारण, शरीर के विभिन्न अंगों में समस्याएं होती हैं। इनमें से एक श्वसन पथ की सूजन है। मरीज के श्वसन पथ की अगली ट्यूब, जो तम्बू से फेफड़ों तक जाती है, को पूरे ट्यूब की श्वसन ट्यूब कहा जाता है। जब सूजन की नली की तुलना में सूजन गहरी हो जाती है, खांसी खांसी को उस समय श्वसन पथ की सूजन कहा जाता है। इसमें, रोगी को लगता है कि श्वास की ट्यूब में एक श्लेष्मा है, जिसे बहुत दृढ़ता से हटाया जाना है






सांस की नली के सूजन के लक्षण जैसे सांस की नली में दर्द होना, सिगरेट पीने या ज्यादा तेज आवाज में बोलने से खांसी का उठना, खांसी होने पर सांस की नली में दर्द सा होना आदि सांस की नली के सूजन के रोग के लक्षण होते हैं।

सांस की नली में सूजन आने का होम्योपैथिक इलाज


सांस की नली में सूजन आने का होम्योपैथिक इलाज
सांस की नली में सूजन आने का होम्योपैथिक इलाज 


ब्रायोनिया- रोगी की सांस की नली में दर्द सा होता है जिसके कारण रोगी को ऐसा लगता है जैसे कि उसकी सांस की नली पक गई हो। रोगी अगर ज्यादा तेज आवाज में बोलता है या सिगरेट आदि पीता है तो उसकी खांसी चालू हो जाती है। सांस की नली में दर्द सा होना, ठण्डी हवा से गर्म कमरे में घुसते ही खांसी उठ पड़ना आदि सांस की नली के रोग वाले लक्षणों में ब्रायोनिया औषधि की thirty शक्ति का सेवन करना अच्छा रहता है।



2. फास्फोरस- आवाज की नली तथा सांस की नली में दर्द होने के साथ-साथ अन्दर की ओर जमे हुए बलगम को बाहर निकालने के लिए रोगी को जोर-जोर से खांसना पड़ता है, लेकिन फिर भी रोगी को लगता है कि बलगम तो बाहर निकल ही नहीं रहा। सांस की नली की गहराई में, छाती में, नीचे की तरफ खुरखुरी सी होना, अगर बलगम निकलता है तो वो गाढ़ा सा मवाद वाला निकलता है। जहां से सांस की नली फेफड़ों में जाने के लिए 2 भागों में बंट जाती है उस स्थान पर खुरखुरी सी होने लगती है इस तरह के लक्षणों में रोगी को फास्फोरस या आर्सेनिक ऐल्बम औषधि की thirty शक्ति देने से लाभ मिलता है।



3. कार्बो-वेज- अगर सांस की नली के नीचे का हिस्सा खुश्क हो और रोगी को ऐसा महसूस हो जैसेकि उसके ऊपर के भाग में खुरखुरी हो रही है जिसके कारण रोगी को खांसी उठती है। रोगी का गला बैठ जाए, रोग सर्दी के या बरसात के मौसम मे बढ़ जाता है। इस रोग के लक्षण शाम के समय या ज्यादा तेज बोलने से भी बढ़ जाते है। रोगी की जीवन जीने की इच्छा बिल्कुल खत्म हो जाती है। इस तरह के लक्षणों में रोगी को कार्बो-वेज की thirty शक्ति लाभदायक रहती है।



4. नक्स-वोमिका- सांस की नली के ऊपर के भाग में चिपचिपे से बलगम का जमना, सांस की नली के उस भाग में जो वक्षास्थि के पीछे है उसमें खुरखुरी सी होना जिससे रोगी को खांसी शुरू हो जाती है। रोगी जब सांस को बाहर छोड़ता है तो उसकी खांसी शुरू हो जाती है। इस तरह के लक्षणों में रोगी को नक्स-वोमिका औषधि की thirty शक्ति का प्रयोग कराना उचित रहता है।

सांस की नली में सूजन आने का होम्योपैथिक इलाज


5. कैलकेरिया कार्ब- सांस की नली में खुरखुराहट सी होना जैसे वहां पर कोई पंख सा छू रहा हो जिसके कारण रोगी को खांसी उठने लगती है। रोगी जब भोजन करता है तो उसको खांसी होने लगती है ऐसा लगता है जैसे की सांस की नली में कोई चीज अटकी है जिससे खुरखुराहट सी हो रही है। बलगम का बहुत ही कठिनाई से निकलना, ऐसा लगना जैसे कि बलगम का कोई थक्का सांस की नली के कभी ऊपर आता है और कभी नीचे चला जाता है। इस तरह के लक्षणों में रोगी को कैलकेरिया कार्ब औषधि की thirty शक्ति का सेवन लाभदायक रहता है।



6. कैपसिकम- रोगी जैसे ही रात को सोने के लिए लेटता है उसकी आवाज की नली तथा सांस की नली में ऐसा महसूस होता है जैसे की उसमे कीड़े से रेंग रहे हो, सांस की नली में खुरखुराहट के साथ बार-बार छींके सी आती रहना आदि लक्षणों में रोगी को कैपसिकम औषधि की 3 या half-dozen शक्ति देना लाभदायक रहता है।



7. सल्फर- सांस की नली में लगातार खुरखुराहट सी होना, रोगी की छाती के अन्दर से सूखी या बलगम वाली खांसी का उठना, रोगी का रोग रात के समय बढ़ जाता है। इस प्रकार के लक्षणों में रोगी को सल्फर औषधि की thirty शक्ति देना लाभदायक रहता है।



8. स्टैनम- सांस की नली में बलगम जमा होने के कारण खुरखुराहट होने से खांसी उठना, रोगी को जितनी भी बार खांसी होती है हर बार रोगी की सांस की नली के नीचे वाले हिस्से में दर्द सा होता है। सांस की नली में से पीले रंग का, बदबूदार, मीठा सा बलगम आना जैसे लक्षणों में स्टैनम औषधि की 3 या thirty शक्ति देना लाभकारी रहता है।

सांस की नली में सूजन आने का होम्योपैथिक इलाज


9. कैनाबिस सैटाइवा- सुबह उठने पर रोगी को ऐसा महसूस होता है जैसे कि उसकी सांस की नली में बहुत सारा बलगम जमा हुआ पड़ा है जिसे आसानी से निकाला भी नहीं जा सकता। रोगी अगर ज्यादा खांसता है तो उसकी सांस की नली में दर्द होने लगता है। रोगी के बहुत ज्यादा खांसने पर बलगम ढीला हो जाता है लेकिन रोगी को खांसी लगातार होती रहती है। इन लक्षणों में अगर रोगी को कैनाबिस सैटाइवा औषधि की 3 शक्ति दी जाए तो रोगी को इससे बहुत आराम मिलता है। 






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