गुस्सा आने का कारण
गुस्सा आने का कारण
कुछ सुझाव पर अमल कर अनियंत्रित क्रोध को शांत किया जा सकता है
गुस्सा आने का कारण
ख़ुशी व गम की तरह क्रोध भी हमारी भावनाओं को व्यक्त करने का एक जरिया है जब स्वयं पर हमारे विवेक का पूर्ण नियंत्रण होता है तो हम अपनी खुशी गम और यहां तक कि क्रोध भी नियंत्रित रूप से रूप से स्थितियो के अनुरूप ही व्यक्त करते है लेकिन जब हमारी भावनाओं पर स्वयं के विवेक का नियंत्रण नहीं होता है तब व्यक्ति के स्वभाव में एक विकृति पैदा हो जाती है जिसे मनोचिकित्सक भाषा में भावनात्मक स्थिरता कहते हैं ऐसे व्यक्ति बाहरी तौर से अपने मन के अनुसार माहौल में तो बड़े शालीन, सभ्य ,शांत प्रतीत होते हैं लेकिन किसी विपरीत परिस्थिति में अचानक गंभीर रूप से प्रेरित होकर अपना आपा खो बैठते हैं और तुरंत मारपीट व तोड़फोड़ पर आमादा हो जाते हैं
क्या है इसके लक्षण
- कोई भी बात मन के अनुसार ना होने पर रोगी को उलझन होना और चाह कर भी उस बात को भुला ना आना
- मन के विपरीत रोगी की किसी भी बात को मना करने पर गंभीर रूप से क्रोधित हो जाते हैं
- भावनाओं पर नियंत्रण के अभाव में रोगी शांत नहीं हो पाते हैं रोगी दूसरे व्यक्ति पर क्रोध करने लगते हैं
- यदि दूसरा व्यक्ति अगर मनोरोगी को जवाब देता है तो रोगी तुरंत ही हाथापाई पर उतर आता है
- रोगी अपना हाथ व सिर को दीवार से टकरा सकते हैं कैसे करें नियंत्रित अपने क्रोध को
- जब आपकी व्यक्ति पर क्रोध कर रहे हो तो शीघ्र ही उसके पास से हटने का प्रयास करें
- किसी दूसरे व्यक्ति के साथ संवाद स्थापित करें अपने मन में दबी हुई भावनाओं को उसके समक्ष व्यक्त करें
- गुस्से के प्रकरणों को व्यक्ति शीघ्र भूल नहीं पाता आत्मचिंतन करके क्रोध से उबरने का प्रयास करें
- क्रोध आने के दौरान ठंडे पानी से मुह को धोय
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