डायबिटीज का नया इलाज !
आधुनिक मेडिकल साइंस ने डायबिटीज के साथ जिंदगी जी रहे लोगों के जोखिम को दबाओ और जांचो के माध्यम से काफी हद तक कम कर दिया है डायबिटीज के एक प्रमुख टेस्ट एचबीए1सी को लेकर चिकित्सा जगत में इन दिनों बैचारिक हलचल मची है अमेरिकन कॉलेज ऑफ फिजिशियन से संबंधित डॉक्टरों ने तो केवल सुझाव भर दिया है |
ना कि कोई गाइडलाइन जारी की है अमेरिकन डायबिटीज एसोसिएशन और अमेरिकन कॉलेज ऑफ क्लीनिकल एंडोक्राइनोलॉजिस्ट की गाइड लाइन के अनुसार मौजूदा विवाद का बुनियादी कारण समझना जरूरी है अमेरिकन कॉलेज ऑफ फिजिशियन के अनुसार एचबीए1सी को 7 से 8% के बीच रहना चाहिए विवाद यही है क्योंकि इस टेस्ट को लेकर पहले से ही ( एडीए) की गाइडलाइन निर्धारित है ऐसे में एसीपी की ओर से दिया गया सुझाव भारत के संदर्भ में कितना कारगर होगा इसे हम जानने का प्रयास करेंगे |
अगर हम भारत के संदर्भ में देखें तो यहां के डॉक्टरों का मानना है कि रक्त में एचबीए1सी के लेवल को ज्यादा रखें के तो डायबिटीज के रोगियों को हार्ट अटैक या स्ट्रोक होने की संभावना अधिक रहेगी |
भारत में डायबिटीज के जो मरीज हैं उनकी उम्र व्यवसायिक तौर पर काम करने की है ऐसा इसलिए क्योंकि उनकी उम्र आमतौर पर 30 से 40 साल के बीच होती है इसलिए उन्हें डायबिटीज की वजह से हार्ट अटैक होने की संभावना ज्यादा होती है वहीं दूसरी ओर अमेरिका में अक्सर डायबिटीज के मामले 50 से 70 साल की उम्र वाले लोगों में ज्यादा सामने आते हैं भारत के संदर्भ में एचबीए1सी टेस्ट के स्तर का 7 से अधिक होना मरीजों में जटिलताओं के साथ उनकी जान को जोखिम में डाल सकता है |
जरूरत है जागरूकता की
डायबिटीज से जुड़ी इन सभी चिंताओं का समाधान संभव है बेशक खान पान पर नियंत्रण कर शुगर का नियमित चेकअप करने और व्यायाम करने से यह संभव है इसमें कोई संदेह नहीं है कि डायबिटीज के साथ जिंदगी जी रहे लोग इन सावधानियों पर अमल कर अच्छी और लंबी जिंदगी जी सकते हैं |
ये है ए.सी.पी सुझाव
1. डायबिटीज के हर मरीज को देखभाल अलग-अलग होनी चाहिए ऐसा इसलिए क्योंकि हर मरीज की स्थिति अलग होती है इस बात का भी ध्यान रखें कि मरीज की उम्र कितनी है और कितने समय डायबिटीज से ग्रस्त है \
2. एचबीए1सी को 7 से 8% के बीच में रहना चाहिए क्योंकि इस स्थिति में मरीज को कोई परेशानी नहीं होगी |
3. अमेरिकन डायबिटीज एसोसिएशन के अनुसार एचबीए1सी को 6.5 प्रतिशत तक रखना चाहिए लेकिन अमेरिकन कॉलेज ऑफ फिजीशियन के अनुसार अगर यही लेवल कितना कम रहता है तो लोगों को शुगर कम होने की समस्या हाइपोग्लाइसीमिया हो सकती है जिसमें उनका जीवन खतरे में पड़ सकता है रक्त में एचबीए1सी का प्रतिशत 7 से 8 के बीच रहता है तो हाइपोग्लाइसीमिया के खतरे से बचा जा सकता है |
जो 75 साल से अधिक के हैं और भी गंभीर रोगों से ग्रस्त हैं तो ऐसे लोगों में शुगर का लेवल 6.5% लाने पर मरीजों की जान पर बन सकती है ऐसे में एचबीए1सी स्तर को 7 से 8% के बीच रखना चाहिए |
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